प्रदेश की भूमि, जलवायु तथा सिंचाई सुविधा की उपलब्धता के आधार पर यह योजना प्रदेश में संचालित है । योजना के अन्तर्गत प्रत्येक कृषक को 0.25 से 4.00 हेक्टेयर तक फल पौध रोपण पर अनुदान देय है।
यह योजना प्रदेश में संचालित है, योजना के अंतर्गत विभिन्न अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। योजना में एक कृषक को 0.25 हेक्टर से लेकर 2 हेक्टर तक का लाभ दिया जा सकता है।
प्रदेश में मसाला क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत कृषकों के लिये विभिन्न अनुदान दिये जाने का प्रावधान है। योजना में एक कृषक को 0.25 हेक्टर से लेकर 2 हेक्टर तक का लाभ दिया जा सकता है।
एक पेड़ माँ के नाम
औषधीय पौधों को भोजन, औषधि, खुशबू, स्वाद, रंजक और भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में अन्य मदों के रूप में उपयोग किया जाता है। औषधीय पौधों का महत्व उसमें पाए जाने वाले रसायन के कारण होता है। औषधीय पौधों का उपयोग रोगों के उपचार में किया जाता है।
फूल-पौधे जिसे पुष्प भी कहा जाता है, जनन संरचना है जो पौधों में पाए जाते हैं। फूलो को मनुष्य के द्वारा सजावट और औषधि के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके अलावा घरों और कार्यालयों को सजाने में भी इनका उपयोग बहुतायत से होता है। भारत में पुष्प की खेती एक लंबे अरसे से होती रही है, लेकिन आर्थिक रूप से लाभदायक एक व्यवसाय के रूप में पुष्पों का उत्पादन पिछले कुछ सालों से ही प्रारंभ हुआ है।
सजावटी पौधों वे वे पौधे हैं जो हमें बहुत अच्छी सजावट के साथ एक पर्यावरण देते हैं, सुखद सुगंध के साथ रंगीन संसेचन। मुख्य उद्देश्य घरों, उद्यानों, पार्कों और इसे प्राकृतिक आकर्षण और बढ़ी हुई सुंदरता प्रदान करने वाले रास्ते को सजाने के लिए है।
फलिय-पौधे उन वृक्षों को फलदार वृक्ष कहते हैं जिन पर लगने वाले फल मनुष्य एवं कुछ जानवरों के खाने के काम आते हैं। पुष्प वाले सभी वृक्ष फल भी देते हैं। फल वास्तव में पुष्प का पका हुआ अण्डाशय ही है। इनमें एक या अधिक बीज होते हैं।